किसी भी सॉफ्टवेर को मार्केट में पब्लिक के बीच लांच करने से पहले “beta” अवस्था (Phase) से गुजरना पड़ता है. इस फेज में सॉफ्टवेर को हर तरह से टेस्ट किया जाता है. जैसे कोई bug, crash या error आदि तो नहीं है. पहले सॉफ्टवेर बीटा वर्जन केवल सॉफ्टवेर डेवलपर को ही दिया जाता था लेकिन जनरल पब्लिक भी इन्हे टेस्ट कर सकती है. बीटा वर्जन आप भी ट्राई कर सकते है.
बीटा वर्जन फ्री होते है. बीटा वर्जन में साधारण रूप से क्रैश या error आते रहते है. इसलिए आम पब्लिक ऐसे वर्जन से दूर ही रहते है. अगर किसी सॉफ्टवेर के वर्जन नंबर में b है तो मतलब ये हुआ कि वो बीटा वर्जन है. जैसे Version: 1.4 b9
बीटा वर्जन का फायदा ये होता है किसी भी सॉफ्टवेर की रियल कंडीशन में परफॉरमेंस कैसी है. क्योकि इन्हे वास्तविक दुनिया में टेस्ट किया जाता है ना कि किसी कंप्यूटर लैब में.