रिलायंस जिओ दुनिया का सबसे बड़ा अंतर राष्ट्रीय सब्मरीन केबल सिस्टम बना रही है.

photo credit-submarinecablemap.com
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हाल ही में रिलायंस जिओ इन्फो कॉम ने कहा है कि भारत में डाटा की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए वो दुनिया का सबसे बड़ा सब्मरीन केबल सिस्टमबना रही है. और इस केबल नेटवर्क के सेंटर में भारत होगा मतलब ये केबल भारत से शुरू होगा. इस बारे में और जानने से पहले ये जान ले कि सब्मरीन केबल क्या होते है.

क्या होता है सब्मरीन केबल?

आपने सुना होगा कि ब्रॉडबैंड में ऑप्टिकल फाइबर केबल यूज होता है. ऑप्टिकल फाइबर केबल में इन्टरनेट की स्पीड काफी तेज होती है. इसी तरह सब्मरीन केबल में भी विशेष तरह के ऑप्टिकल फाइबर केबल होते है जो कि बहुत मजबूत होने के साथ इन्टरनेट की स्पीड भी Terabits per second में देती है. इस तरह के केबल संचार या कम्युनिकेशन के लिए समुद्र में बिछाए जाते है जिससे एक देश इन्टरनेट के लिए बाकि संसार से जुड़ा रहे. और दो या दो से अधिक देशो के बीच संपर्क बना रहे.

इन्ही केबल्स के द्वारा दुनिया का 99 % इन्टरनेट ट्रैफिक आता है. ऑप्टिकल फाइबर केबल समुद्र के साथ साथ भूमि के अन्दर भी यूज होते है.समुद्र के अन्दर यूज होने वाले ऑप्टिकल फाइबर केबल में मजबूती ज्यादा होती है. क्योकि ये केबल समुद्र में 8000 मीटर की गहराई तक भी बिछाए जाते है. और समुद्र में दबाव भी ज्यादा होता है. इसलिए इनका मजबूत होना जरुरी है.

 ये सब्मरीन केबल किस तरह संसार में फैले है और किस तरह एक देश को बाकि देश से जोड़ते है और फिर किस तरह आपके मोबाइल में इन्टरनेट पहुचता है? इन सबके बारे में आप यहा विस्तार से पढ़ सकते है जो कि बहुत ही रोचक है. इस पोस्ट को पढ़कर आपको काफी कुछ ऐसा पता चलेगा कि जो आपने कही नहीं पढ़ा होगा.  इन्टरनेट कैसे चलता है और भारत में इन्टरनेट कैसे पहुचता है?

ये भी पढ़े इन्टरनेट क्या है? इन्टरनेट का फुल फॉर्म क्या है और इन्टरनेट के बारे में पूरी जानकारी हिंदी में

भारत की भूमिका

ऐसा नहीं है कि भारत दुनिया में फैले सब्मरीन केबल से नहीं जुड़ा है. यूरोप से आने वाले केबल सिंगापुर जाकर खत्म होते है और बीच में भारत को भी छूते है लेकिन इस बार भारत को फोकस में रखा जायेगा. मतलब दो केबल सिस्टम बिछाए जायेंगे जो दो दिशा में भारत से शुरू होंगे. एक सिस्टम एशिया जायेगा तो दूसरा सिस्टम यूरोप. ऐसा पहली बार होगा कि जब भारत सब मरीन केबल नेटवर्क के मैप में सेंटर में होगा.

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समुद्र में दो तरह के केबल बिछाए जायेंगे जिनके नाम है

  • The India-Asia-Xpress (IAX) cable system– ये भारत को मुंबई, चेन्नई के द्वारा सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड को जोड़ेगा. ये वर्ष 2023 के मध्य तक पूरा होगा.
  • India-Europe-Xpress (IEX) cable system- ये भारत के पश्चिम को मिडिल ईस्ट और यूरोप होते हुए इटली तक जायेगा. मार्ग में ये उत्तरी अफ्रीका को जोड़ेगा. ये वर्ष 2024 के शुरुआत में पूरा होगा.

इन दोनों केबल की लम्बाई 16 हजार किलोमीटर से ज्यादा होगी. और स्पीड भी 200 Terabits per second से ज्यादा देगी. ये इतनी ज्यादा स्पीड है कि 1 सेकंड से कम समय में पूरी नेट फ्लिक्स की मूवी डाउनलोड हो जाए.

समुद्र में इन केबल को बिछाने का काम सब्मरीन केबल सप्लायर SubCom करेगी जो कि अमेरिका की जानी मानी कंपनी है. ये दोनों केबल Next generation के होंगे. ताकि ये भविष्य में डाटा की बढ़ती मांग को पूरा कर सके.

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