Network क्या है और कंप्यूटर नेटवर्क के कितने प्रकार होते है?

नमस्कार दोस्तों आज हम जानेंगे कि Network क्या है (What is network in Hindi). और Network कितने प्रकार के होते है, इसके बारे में भी विस्तार से बात करेंगे. जिस तरह से इन्सान एक दूसरे से बात करता है उसी तरह Computers भी एक दूसरे से नेटवर्क बनाकर जानकारी या संसाधन शेयर करते है. और जैसे हम इंसानों का नेटवर्क होता है उसी तरह कंप्यूटरों का नेटवर्क होता है. और हम इन्सान (मतलब इंजीनियर) ही इन कंप्यूटर नेटवर्क को बनाते है ताकि हमारी बात या जानकारी जरुरत पड़ने पर दुनिया के हर कोने में तेजी से जा सके.

दोस्तों यहा पर जब भी नेटवर्क कहू तो आपको कंप्यूटर नेटवर्क ही समझना है. तो चलिए शुरू करते है और जानते है कि नेटवर्क क्या होता है?

कंप्यूटर नेटवर्क क्या है- Computer Network in Hindi

सूचनाओ के आदान प्रदान करने और रिसोर्स या संसाधन शेयर के उद्देश्य से कम से कम दो कंप्यूटर के बीच किसी वायर या वायरलेस द्वारा संचार स्थापित करना ही नेटवर्क कहलाता है.

नेटवर्क का उद्देश्य दोनों कंप्यूटर के बीच संचार स्थापित करके सूचनाओ का आदान प्रदान करना होता है. नेटवर्क के कंप्यूटरों को लिंक करने के लिए केबल, वायरलेस माध्यम जैसे रेडियो तरंग, Satellite, इन्फ्रारेड में से कोई भी यूज किया जा सकता है.

आज के समय में नेटवर्क बहुत काम्प्लेक्स हो गया है. अब केवल दो कंप्यूटर ही जुड़े नहीं होते है बल्कि जरुरत के हिसाब से बहुत से कंप्यूटर को कनेक्ट करके एक मुख्य कंप्यूटर को सर्वर बना दिया जाता है. और बाकि कंप्यूटर क्लाइंट (Client) कहलाते है.

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Network example: आपके घर का वाई फाई नेटवर्क

घर में मौजूद वाई फाई राऊटर से आपके डिवाइस जैसे मोबाइल, कंप्यूटर, प्रिंटर आदि जुड़े रहते है. राऊटर एक बड़े नेटवर्क इन्टरनेट से जुड़ा रहता है. राऊटर आपके घर के लिए एक सर्वर के तरह काम करता है जबकि घर के डिवाइस एक Client के तरह. तो हम ये कह सकते है ये सारे डिवाइस जो कि क्लाइंट्स है एक नेटवर्क का ही भाग है जो कि वही रिसोर्स (इन्टरनेट) यूज करते है जो कि आपका राऊटर. इस तरह से ये Local area networks का उदाहरण भी हो गया.

नेटवर्क में प्रयोग की जाने वाली डिवाइस 

कंप्यूटर नेटवर्क में हार्डवेयर और होस्ट (or कंप्यूटर) के बीच संचार के लिए नेटवर्क डिवाइस की जरुरत पड़ती है.जैसे कि Bridges, Gateway, Routers, Modem, Hubs, Switches आदि. ये डिवाइस फिजिकल डिवाइस होते है जो कनेक्टिंग डिवाइस के तरह इनके बीच डाटा को शेयर करते है.

Repeater

रिपीटर एक एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है सिग्नल को बढाता है. ये सिग्नल को रिसीव करके सिग्नल को कमजोर से पहले सिग्नल को एक उच्च स्तर या उच्च शक्ति पर फिर से भेज देता है. जिससे कि सिग्नल ज्यादा दूरी तक जा सके. जैसे LAN के 100 मीटर से अधिक दूरी तक जा सके और WiFi network का कवरेज एरिया बढ़ाने के लिए WiFi repeater का यूज होता है. रिपीटर केवल फिजिकल लेयर पर काम करता है.

Hub

हब कंप्यूटर नेटवर्किंग का बहुत ही बेसिक डिवाइस होता है जो बहुत से कंप्यूटर या दूसरे नेटवर्क डिवाइस को एक साथ जोड़ता है. जैसे USB hub जो बहुत से USB डिवाइस को एक कंप्यूटर से कनेक्ट होने की सुविधा देता है. इसी तरह एक LAN में बहुत से कंप्यूटर को कनेक्ट करने के लिए हब की जरुरत होती है.

Bridge

Bridge (ब्रिज) दो या दो से अधिक कंप्यूटर नेटवर्क को जोड़कर एक सिंगल नेटवर्क बनाता है. ये दूसरे कंप्यूटर नेटवर्क के साथ इंटरकनेक्शन बनाता है जो कि एक समान protocol (प्रोटोकॉल) पर काम करते है. जैसे बहुत से लोकल एरिया नेटवर्क्स को मिलाकर एक बड़ा LAN बना सकते है. ब्रिज में सिंगल इनपुट और सिंगल आउटपुट होता है. इसलिए 2 port डिवाइस होता है.

Gateway 

गेटवे जैसा कि इसका नाम बता रहा है दो नेटवर्क को कनेक्ट करने के लिए एक पैसेज (मार्ग) का काम करता है जो कि विभिन्न नेटवर्किंग मॉडल पर काम करने में सक्षम होता है.ये एक सन्देश वाहक के तरह होता है जो कि एक सिस्टम से डाटा लेता है, डाटा को समझता है और फिर दूसरे सिस्टम को ट्रान्सफर कर देता है. Gateway किसी भी नेटवर्क लेयर पर ऑपरेट हो सकता है. साधारण रूप से गेटवे स्विच या राऊटर से ज्यादा काम्प्लेक्स होते है.गेटवे राऊटर के सारे काम के साथ कुछ अतिरिक्त काम भी करता है. वास्तव में अगर राऊटर में ट्रांसलेशन फंक्शन भी जुड़ जाए तो वो गेट वे हो जाता है.

Switch 

Switch नेटवर्क पर उपकरणों के बीच डाटा संचार करने की अनुमति के साथ ही डाटा को साझा करने और ट्रान्सफर करने के लिए भी अनुमति देता है. ठीक वैसे ही जैसे घर में बिजली के स्विच होते है. स्विच डाटा पैकेट्स को प्रोसेस करके उनके गंतब्य पर रूट कर देता है. स्विच हब से ज्यादा बुद्धिमान होता है. स्विच एक मल्टीपोर्ट डिवाइस होता है जो नेटवर्क की दक्षता बढाता है. केवल वायरलेस नेटवर्क में स्विच का यूज नहीं होता है.

Modem

Modem (मॉड्यूलेटर-डिमोडुलेटर) का यूज डिजिटल सिग्नल को एनालॉग सिग्नल में और एनालॉग को डिजिटल में बदलने के लिए होता है. जैसे टेलीफोन लाइन में सिग्नल भेजने के लिए मॉडेम डिजिटल सिग्नल को विभिन्न आवृत्तियों के एनालॉग सिग्नल में बदलता है. और रिसीविंग स्टेशन पर लगा हुआ मॉडेम  इस एनालॉग को डिजिटल में बदल देता है. आमतौर पर डिजिटल डाटा को सीरियल इंटरफ़ेस, RS-232 के माध्यम से भेजा जाता है.

मॉडेम की जरुरत इसलिए पड़ती है क्योंकि सारे इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस जैसे मोबाइल, कंप्यूटर आदि डिजिटल सिग्नल (0, 1) को समझते है. डिजिटल सिग्नल अपने ओरिजिनल रूप में किसी माध्यम से नहीं भेजे जा सकते है.  इसलिए हमें एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में डाटा भेजने के लिए पहले डाटा को एनालॉग में बदलना होगा जो मॉडेम का काम है. और फिर दूसरे डिवाइस में भी मॉडेम होगा जो इस एनालॉग को डिजिटल में बदल देगा.

Router

राऊटर मतलब रास्ता दिखाने वाला. कंप्यूटर नेटवर्क में केवल डाटा ही फ्लो होता है. आई पी एड्रेस के आधार  डाटा को रास्ता दिखाने का काम राऊटर करता है. दूसरे शब्दों में कहे तो कंप्यूटर नेटवर्क में डाटा ट्रैफिक को मैनेज करने का काम राऊटर करता है. इसी डाटा पैकेट को निर्देश देता है कि उन्हें किस मार्ग से जाना है. राऊटर उन सभी नेटवर्क की जानकारी अपने पास रखता जिनसे ये जुड़ा होता है. हर राऊटर का एक खुद का नेटवर्क एड्रेस और (IP address)  इन्टरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस होता है. राऊटर को केवल उसी ट्रैफ़िक को पास करने के लिए कॉन्फ़िगर किया जाना चाहिए जिसकी इजाजत नेटवर्क एडमिन ने दी हो.

कंप्यूटर नेटवर्क के प्रकार हिंदी में-Types of Computer Network in Hindi

कंप्यूटर नेटवर्क छोटे और बड़े दोनों होते है मतलब कोई नेटवर्क बहुत कम जगह कवर करता है जबकि अन्य नेटवर्क के लिए एक देश भी छोटा पड़ता है. इसीलिये कंप्यूटर नेटवर्क को उनके साइज के आधार पर मुख्य रूप से चार भागो में बाटा गया है. ये चार है – PAN, LAN, MAN और WAN. इन चारो के अलावा भी कुछ नेटवर्क है जो इन्टरनेट की दुनिया में बहुत प्रचलित है.  

1. Personal Area Network (PAN)

PAN किसी व्यक्तिगत विशेष के लिए होता है. ऐसे नेटवर्क को अपने पर्सनल डिवाइस जैसे लैपटॉप, मोबाइल, हेड फोन, प्ले स्टेशन, PDA (Personal Digital Assistant), प्रिंटर आदि को लिंक करके बनाया जाता है. जैसे अगर अप पेन ड्राइव से कंप्यूटर में डाटा ट्रान्सफर कर रहे है तो वो भी आपका Personal Area Network हुआ. PAN की रेंज 10 मीटर के आस पास होती है.  ये नेटवर्क आसानी से कही भी बनाया जा सकता है जैसे घर, ऑफिस, हॉस्पिटल, पार्क आदि. Thomas Zimmerman ने पहली बार PAN का विचार दिया था. PAN दो प्रकार का होता है

  1. Wired Personal Area Network- USB, FireWireके द्वारा Personal Area Network बनाया जाता है.
  2. Wireless Personal Area Network- इसमे Infrared, ZigBee, Bluetooth या Wifi यूज होता है.

PAN के फीचर

  • इसे सेट अप करना आसान होता है.
  • ये बाकि नेटवर्क की तुलना में flexible और हाई स्पीड वाला होता है.
  • ये कॉम्पैक्ट होता है मतलब आप अपने साथ कही भी ले जा सकते है.
  • इसमे कोई रख रखाव का खर्चा नहीं होता है.

2. Local Area Network (LAN)

 लोकल एरिया नेटवर्क छोटे सीमित क्षेत्र में Connected computers के ग्रुप को दर्शाता है. जैसे घर, स्कूल कंप्यूटर लैब, बिल्डिंग. LAN में कंप्यूटरों को जोड़ने के लिए वायर या वायरलेस दोनों का प्रयोग कर सकते है. Wired LAN में ईथरनेट केबल का प्रयोग होता है.ज्यादातर LAN में एक ही राऊटर होता है जो सारे कंप्यूटरों को मैनेज करता है और यही राऊटर इन्टरनेट से भी लिंक होता है और Central connection point की तरह काम करता है. अगर LAN में दो से अधिक कंप्यूटर जुड़े होते है तो हमें कुछ अतिरिक्त नेटवर्क कॉम्पोनेन्ट जैसे Hub, Bridges, Ethernet cables and Switches की भी जरुरत पड़ती है.

LAN के फीचर

  • LAN में डाटा ट्रान्सफर तेजी से होता है.
  • इसमे कम कंप्यूटर की वजह से यूजर को ज्यादा सिक्योरिटी मिलती है.
  • इसे सेट अप करने में खर्चा कम होता है.

3. Metropolitan Area Network (MAN)

इस तरह का नेटवर्क शहरों या किसी बड़े भौगोलिक क्षेत्र को कवर करता है. ये ब्रॉडबैंड नेटवर्क होता है जो आस पास बहुत से LANs को कनेक्ट करके बनता है. ये नेटवर्क LAN से हमेशा बड़ा होता है लेकिन WAN से कम एरिया कवर करता है. MAN की रेंज 100 km तक हो सकती है. शहरो में फैले हुए, टेलीफोन केबल नेटवर्क, ब्रॉडबैंड  इन्टरनेट केबल नेटवर्क या फिर cable TV network इसका सबसे अच्छा उदाहरण है.

MAN के फीचर

  • LAN के अपेक्षा MAN का रख रखाव महँगा और कठिन होता होता है.
  • ये बड़े भौगोलिक क्षेत्र जैसे शहर में यूज होता है.
  • शहरों में Banks को कनेक्ट करने के लिए MAN का यूज होता है.

4. Wide Area Network (WAN)

           image credit-Wikipedia

WAN का पूरा नाम है – Wide Area Network. WAN बहुत बड़े भौगोलिक क्षेत्र तक फैला होता है जैसे कोई राज्य या देशों के बीच. WAN का एरिया LAN और MAN से बहुत ज्यादा होता है. और इसे सेट अप करना बहुत महँगा होता है. ये लम्बी दूरी पर स्थित बहुत से LANs को एक दूसरे से कनेक्ट करता है. WAN में लोकल नेटवर्क या कंप्यूटर की संख्या अनलिमिटेड होती है.

बड़ी कंपनिया अपने अलग अलग देशो में फैले हुए ऑफिस नेटवर्क को जोड़ने के लिए ऐसे ही नेटवर्क का यूज करती है. जिससे वो एक ऑफिस के डाटा को किसी दूसरे ऑफिस से एक्सेस या प्राप्त कर सके. इसी तरह Large organization, Banking networks, Airline Reservation network, Railway reservation network भी WAN के उदाहरण है. पूरे संसार में फैले इन्टरनेट को आप WAN कह सकते है.

इसमे बड़ी कंपनिया Leased line, telephone line, cellular connections और Satellite internet का यूज करती है. ऐसे नेटवर्क को बनाना बहुत खर्चीला होता है इसलिए कंपनी इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) से दूरी के हिसाब से पहले से फैले नेटवर्क को किराये पर ले लेती है.

Relation between PAN, LAN, MAN and WAN

एरिया के अनुसार इन चारो में सम्बन्ध -(सबसे बड़ा) WAN > MAN > LAN > PAN (सबसे छोटा नेटवर्क)

ये भी पढ़े 

निष्कर्ष : नेटवर्क क्या है (Network in Hindi)

दोस्तों मुझे पूरा यकीं है कि आपको ये पोस्ट Network क्या है (What is Network in Hindi) जरुर पसंद आई होगी.  स्टूडेंट्स के लिए Network in Hindi बहुत जरुरी टॉपिक है. दोस्तों यहा पर बताये गए नेटवर्क्स में मुख्य तीन है LAN, MAN, WAN तीनो के अपने फायदे है और नुकसान भी है. जैसे LAN में high data transmission rate होता है इनका रख रखाव भी कम होता है. लेकिन LAN शहर को कवर नहीं कर सकते है. और फिर शहरी क्षेत्र को कवर करने के लिए हमें MAN की जरुरत पड़ती है. और शहर से बड़े क्षेत्र के लिए हमें WAN की जरुरत पड़ती है.

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