5g नेटवर्क क्या है: दोस्तों आज हम जानेंगे कि 5G बैंड क्या होता है या 5G बैंड स्पेक्ट्रम क्या होता है? इस पोस्ट में हम ये भी जानेंगे कि 5 जी स्मार्टफोन लेते समय कौन से बैंड देखने चाहिए. तीन प्रकार के 5G बैंड से स्पीड और रेंज में क्या फर्क पड़ता है. और आपका 4 जी फोन भी 5 जी नेटवर्क पर काम करेगा? आइये जानते है 5G बैंड क्या होता है (5G Band in Hindi). आगे बढ़ने से पहले बता दूँ कि अगर आपने 5 G की बारे में नहीं पढ़ा है तो ये पोस्ट 5g नेटवर्क क्या है| 5G क्या हैं? 5G के फायदे क्या है? कैसे 5 जी दूसरे नेटवर्क से अलग है? जरुर पढ़े.
5 जी लांच होते ही बहुत से 5 जी स्मार्टफोन भी मार्केट में लांच किये जा रहे है. इन स्मार्टफोन में 5 जी बैंड्स लोगो को कंफ्यूज कर रहे है. किसी फोन में 5 बैंड होते है किसी में 13 बैंड. किसी को समझ नहीं आ रहा है ये उन्हें कौन से 5G बैंड का मोबाईल खरीदना चाहिए? लेकिन इससे पहले हम आपको 5G बैंड क्या होता है हिंदी में इस बारे में बताएँगे.
5g Band kya hota hai|5g नेटवर्क क्या है| What is 5G Bands in Hindi?
5 जी बैंड स्पेक्ट्रम वो फ्रीक्वेंसी होते है जिस फ्रीक्वेंसी पर आपके मोबाइल डिवाइस पर इन्टरनेट उपलब्ध होता है. यही फ्रीक्वेंसी ही मोबाइल से डाटा को सेलुलर बेस स्टेशन तक ले जाते है. 5 जी स्पेक्ट्रम 5G coverage and speed के बारे में बताता है. स्मार्टफ़ोन electromagnetic radio frequencies का उपयोग करके आवाज़ और डेटा को हवा में प्रसारित करते हैं, इन फ्रीक्वेंसी को अलग-अलग फ़्रीक्वेंसी बैंड में व्यवस्थित किया जाता है. इनमें से कुछ बैंड दूसरों की तुलना में अधिक क्षमता रखते हैं और तेजी से सूचना देने में सक्षम होते हैं, जो कि एमएमवेव के मामले में पाया जाता है.
5 जी बैंड स्पेक्ट्रम को मुख्य रूप से तीन केटेगरी में बांटा जाता है. 5 जी इन्ही बैंड का यूज करेगी. आपको बता दू कि लो बैंड और मिड बैंड का यूज 5 जी से पहले के जनरेशन 1G, 2G, 3G, 4G शुरू से ही करते आ रहे है. और आने वाले समय में 5 जी भी इन्ही में से कुछ बैंड का यूज करगी.
- Low band spectrum
- Mid band spectrum
- High band spectrum (millimetre band)
सभी फ्रीक्वेंसी बैंड की रेडियो तरंगो की डाटा ले जाने की एक सीमा होती है. जैसे ही हम उस सीमा तक पहुच जाते है तो किसी दूसरे को अच्छी इन्टरनेट स्पीड देने के लिए किसी अन्य की स्पीड कम हो जाती है. यही पर 5 G अधिक क्षमता, अधिक स्पेस जोड़ता है. मतलब फ्रीक्वेंसी बैंड में सबके लिए जगह है. आप दो डिवाइस यूज करे या एक सबको ज्यादा स्पीड मिलेगी.
और ये जरुरी भी है क्योंकि हर साल इन्टरनेट यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है. और ज्यादा इन्टरनेट सर्विस का यूज कर रहे है
1. लो बैंड स्पेक्ट्रम (Low band spectrum)
स्पेक्ट्रम चार्ट में 1 GHz (गीगाहर्ट्ज) से नीचे के सारे स्पेक्ट्रम लो बैंड स्पेक्ट्रम में आते है. शुरूआती वायरलेस नेटवर्क (1 G) को लो बैंड के 800 MHz spectrum में शुरू किया गया था. इस बैंड में टेलिकॉम कंपनी केवल एक टावर से मीलों दूर हजारों ग्राहकों को सेवा दे सकते है. Low band spectrum की यही सबसे अच्छी बात थी कि इसका कवरेज बहुत दूर तक होता है.
Low-band 5G, 600 MHz से 900 MHz के बीच काम करेगा. इसी बैंड को आज के 4 जी नेटवर्क भी यूज करते है. इस बैंड में आपको 5 जी के लिए स्पीड 4 जी से थोडा ज्यादा अच्छा मिलेगी. लेकिन लो बैंड स्पेक्ट्रम की स्पीड बाकि दूसरे बैंड मिड और हाई बैंड से हमेशा कम ही रहेगी. इसमे इन्टरनेट स्पीड 30-250 Mbps के बीच मिलेगी. इसका मतलब यह नहीं है कि low-band 5G योग्य नहीं है. कम स्पीड के कारण लो-बैंड 5जी ज्यादा दूर तक जाते है. और लो-बैंड 5G में कम बैंडविड्थ है: यह दूर तक यात्रा कर सकता है क्योंकि इसमें High Frequency की तुलना में डेटा ले जाने की क्षमता कम होती है
2. मिड बैंड स्पेक्ट्रम (Mid band spectrum)
Mid band spectrum 1GHz से 6GHz के बीच का होता है और निश्चित रूप से कहे तो इनमे से 5 जी के लिए 2.5 GHz, 3.5 GHz और 3.7 GHz से 4.2 GHz यूज किया जायेगा. इस बैंड में 100-900 Mbps की इन्टरनेट स्पीड मिलती है. मिड बैंड में हर सेल टावर की रेंज कम होती है. लेकिन स्पीड लो बैंड से ज्यादा होती है. और आने वाले वर्षो में 5 जी के ऑपरेट करने के लिए सबसे ज्यादा इसी बैंड का यूज किया जायेगा इनमे से कुछ बैंड पहले से 4 जी के लिए यूज किये जा रहे है. मिड बैंड 5 जी स्पेक्ट्रम लो बैंड 5 जी स्पेक्ट्रम से 5 गुना चौड़ा होता है इसलिए ये ज्यादा डाटा को ले जाने की क्षमता रखता है. लेकिन ये लो बैंड स्पेक्ट्रम की तुलना ज्यादा दूर तक नहीं जा पाते है फिर भी हाई बैंड स्पेक्ट्रम से ज्यादा दूर जाते है.
इसे 5G के लिए एकदम सही माना जाता है क्योंकि यह लंबी दूरी की यात्रा के दौरान बहुत सारा डेटा ले जा सकता है. ये फ्रीक्वेंसी ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सबसे उपयुक्त हैं, जहां कनेक्टिविटी की मांग कम है, लेकिन लंबी दूरी पर कवरेज की आवश्यकता है. मिड-बैंड स्पेक्ट्रम का एक अन्य लाभ यह है कि दूरसंचार कंपनियां नेटवर्क को तैनात करने के लिए मौजूदा 4जी बुनियादी ढांचे का उपयोग कर सकती हैं.
3. हाई बैंड स्पेक्ट्रम (High band spectrum or millimetre wave spectrum)
अब, हाई-बैंड स्पेक्ट्रम, जिसे 5G नेटवर्क के मिलीमीटर वेव स्पेक्ट्रम के रूप में भी जाना जाता है. हाई-बैंड स्पेक्ट्रम 24 GHz से ऊपर का बैंड होता है(mmwave) . ये अधिकतम 47 GHz तक जाता है. मिलीमीटर वेव स्पेक्ट्रम का एक प्रमुख लाभ यह है कि सिग्नल आपको 1 Gbps से 3 Gbps के बीच कनेक्शन की स्पीड दे सकता है और कुछ मामलों में, इससे भी अधिक स्पीड मिल सकती है. लेकिन हाई-बैंड स्पेक्ट्रम में एक खामी भी है.
ये स्पेक्ट्रम बहुत दूर नहीं जा सकता. वास्तव में ये तरंगें पेड़ों, इमारतों और यहां तक कि कांच जैसे मामूली हस्तक्षेप से प्रभावित होती हैं. इसका मतलब है कि आपको सबसे अधिक हाई इंटरनेट स्पीड प्राप्त करने के लिए आपको टावर के पास होना चाहिए और अपने और मिलीमीटर वेव टॉवर के बीच कोई हस्तक्षेप या रुकावट नहीं होना चाहिए. mmWave एक सुपर-फास्ट 5G है. इसका कवरेज बढ़ाने के लिए बहुत सारे टावरों की आवश्यकता होती है. जिससे ये टेलीकॉम कंपनी के लिए इनस्टॉल करना महंगा होता है. mmWave की सीमाएँ इसे घने, शहरी क्षेत्रों (Dense Urban Area) या हवाई अड्डों या मॉल जैसे स्थानों के लिए सबसे उपयुक्त बनाती हैं.
एक iPhone के साथ जो mmWave के साथ दोनों बैंड्स सपोर्ट करता है, वो बिजली की तरह 5G स्पीड का लाभ उठा सकते हैं अगर mmWave तकनीक उपलब्ध है, जबकि अन्य 5G कवरेज अधिक आधुनिक LTE नेटवर्क के समान है. एक आईफोन के साथ जिसमें केवल Sub-6GHz band (Low +Mid band) है, वो आसानी से उपलब्ध 5G नेटवर्क का उपयोग कर सकते हैं लेकिन बिजली वाली 5 जी स्पीड नहीं मिलेगी.
थ्योरी के अनुसार यदि आपके 5G मोबाइल डिवाइस में अधिक बैंड हैं, तो आपको बेहतर 5G network मिलेगा. लेकिन यह सब आपके Telecom provider पर निर्भर करता है, जिसे आपके क्षेत्र में सभी संभावित 5G बैंड स्पेक्ट्रम को इनेबल करने की आवश्यकता है. इसका कवरेज सीमित है, तो यह केवल घने शहरी क्षेत्रों में उपयोगी है जहां आपके फोन और 5G टावर के बीच सीधी रेखा हो.
मिड-बैंड – 3.3-3.8GHz सबसे लोकप्रिय 5G बैंड है. यूरोप और एशिया के अधिकांश देशों में आमतौर पर यही बैंड यूज होता है. क्योंकि ये स्पेक्ट्रम पहले से ही 3G और 4G नेटवर्क द्वारा व्यापक रूप से उपयोग में है. 3.5GHz पर बैंड n78 भारत में उपलब्ध कराए जाने वाले 5 जी बैंड के दायरे में आता है. n78 – एक मिड-बैंड स्पेक्ट्रम होने के कारण, coverage और capacity दोनों अच्छा देता है
Oneplus 9 series स्मार्टफोन में दो प्रमुख 5G बैंड हैं – n78 और n41. 2.6GHz पर 5G बैंड n41 एक और लोकप्रिय 5G बैंड है जो 5G को बड़ी संख्या में लोगों को तक पंहुचा सकता है
Smartphones जिनमे है सबसे ज्यादा 5G Bands का सपोर्ट (5g नेटवर्क मोबाइल)
Xiaomi 11T Pro
5G Band Support: n1/3/5/7/8/20/28/38/40/41/66/77/78. (Total 13 Bands)
Moto G71 5G
5G Band Support: n1/n3/n5/n7/n8/n20/n28/n38/n40/n41/n66/n77/n78 (Total 13 Bands)
Infinix Zero 5G
5G Band Support: n1/n3/n5/n7/n8/n20/n28/n38/n40/n41/n77/n78/n79 (Total 13 Bands)
Realme narzo 60 Pro
iQOO Z6 Lite 5G
Moto g84 5g
Motorola Moto G54 5G
Motorola Edge 40 5G
5 जी बैंड कवरेज एरिया
लो बैंड का कवरेज एरिया सबसे ज्यादा होता है. मतलब ये सिग्नल 10km दूर के स्मार्टफोन में 5 जी सेवा देता है. मिड बैंड स्पेक्ट्रम का रेंज 1 से 5 km के बीच होता है. जबकि हाई बैंड स्पेक्ट्रम का रेंज सबसे कम होता है जो कि 1 km से भी कम होता है.
Low band spectrum > Mid band spectrum > High band spectrum
5 जी बैंड स्पीड
जैसे का ऊपर बताया है हाई बैंड स्पेक्ट्रम का कवरेज सबसे कम होता है इसिलए इसकी 5 जी स्पीड भी सबसे तेज होती है. और रेंज ज्यादा होने के कारण लो बैंड स्पेक्ट्रम की स्पीड सबसे कम होती है. 2G, 3G, 4G, 5G सारे नेटवर्क लो बैंड स्पेक्ट्रम और मिड बैंड स्पेक्ट्रम में काम करते है. इंडिया में अभी केवल लो बैंड स्पेक्ट्रम और मिड बैंड स्पेक्ट्रम से 5 जी सेवाए दी जाएँगी.
High band spectrum (fastest) > Mid band spectrum > Low band spectrum (slowest)
सी बैंड 5 जी | What Is C-Band 5G in Hindi
फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन (FCC) ने निर्धारित किया है कि 3.7GHz-4.2GHz फ़्रीक्वेंसी रेंज को C-बैंड के रूप में जाना जाएगा. लेकिन इसकी फ्रीक्वेंसी रेंज मिड-बैंड 5जी स्पेक्ट्रम के अंतर्गत आती है. अब मोबाइल कंपनिया 5 जी स्मार्टफोन को सी-बैंड 5G के रूप में मार्केटिंग करके बेच रही है.
कितने बैंड का 5जी मोबाईल खरीदना उपयुक्त रहेगा?
1 GHz – 6 GHz रेंज में स्पेक्ट्रम मिड-बैंड स्पेक्ट्रम है और इसे 5 जी के लिए आदर्श माना जाता है क्योंकि यह लम्बी दुरी के साथ भी बहुत सारे डेटा ले जा सकता है. ये बैंड आपके 5जी मोबाइल में होना ही चाहिए.
- एयरटेल ने 5 G सेवा के लिए पांच बैंड- 900 मेगाहर्ट्ज (n8), 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज (n1), 3300 मेगाहर्ट्ज (n78), और 26 गीगाहर्ट्ज (n258) ख़रीदा है।
- रिलायंस ने पांच बैंड- 700MHz (n28), 800MHz (n5), 1800MHz (n3), 3300MHz (n78) और 26GHz (n258) का अधिग्रहण किया है.
- Vodafone ने सिर्फ दो 5G बैंड 3300MHz (n78) और 26GHz (n258) खरीदे हैं.
अगर आप 5जी मोबाईल खरीदने की सोच रहे है तो आप 5G फोन बैंड्स (n8, n28, n1, n78, n258) को जरुर देखे. फोन इनमे में से किसी एक को सपोर्ट करता है, तो आप हाई-स्पीड इंटरनेट का आनंद ले पाएंगे।
जब भी आप नय 5 G फोन ले तब इन बैंड्स को मोबाइल बॉक्स में जरुर देखे. इसके अलावा और भी बैंड का सपोर्ट मिल रहा है तो और भी अच्छी बात है.
1 गीगाहर्ट्ज – 6 गीगाहर्ट्ज रेंज में 5G बैंड इस प्रकार है. मोबाइल के बॉक्स पर फ्रीक्वेंसी नहीं लिखी होती है. आपको केवल बैंड्स ही लिखे हुए दिखाई देंगे. जैसे कि n1/n2/n3/n7/n25/n34/n38/n39/n40/n41/n50/n51/n65/n77/n78/n79/n80/n84/n86. आपके जानने के लिए इनकी फ्रीक्वेंसी भी नीचे दी गयी है. (1 GHz=1000 MHz)
5G Frequency bands (All 5G Bands list)
Band | ƒ (MHz) |
n1 | 2100 |
n3 | 1800 |
n2 | 1900 |
n7 | 2600 |
n25 | 1900 |
n34 | 2100 |
n38 | 2600 |
n39 | 1900 |
n40 | 2300 |
- n41 2500 MHz
- n50 1500
- n51 1500
- n65 2100
- n77 3700
- n78 3500
- n79 4700
- n80 1800
- n84 2100
- n86 1700
मिलीमीटर 5G तथा सब-6 5G में क्या अंतर है ? Sub 6GHz 5G bands and mmWave frequency range
कभी कभी 5 जी बैंड्स को Sub 6GHz और mmWave में बांटा जाता है. 6GHz से नीचे के Mid और Low-frequency bands, Sub 6GHz में आते है. और mmWave (5g mmwave frequency bands) 24GHz से 40GHz तक के उच्च फ्रीक्वेंसी वाले रेडियो बैंड को दर्शाता है. mmWave 5G नेटवर्क अल्ट्रा-फास्ट हैं, लेकिन वे अल्ट्रा-शॉर्ट रेंज भी हैं. mmWave तकनीक का उपयोग करने के लिए, आपको 5G टॉवर के लगभग एक ब्लॉक के भीतर होना चाहिए, जो उपनगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में संभव नहीं है.
क्या 5 जी फोन खरीदना अभी सही पड़ेगा?
अभी तक मार्केट में बहुत 5 जी स्मार्टफोन लांच हो चुके है जिनकी कीमत 15 हजार से कम भी है. अगर आप मेट्रो सिटी में रहते है तो आप 5 G ले सकते है. बाकि शहरो के लोगो भी 5 G मोबाइल ले सकते है. क्योंकि अभी पूरे इंडिया में 5 जी लांच हो गया है. और अभी free 5g data भी मिल रहा है. इसलिए अभी 5 जी फोन खरीदना सही है.
लो बैंड, मिड बैंड और हाई बैंड स्पेक्ट्रम-ये तीन 5 जी बैंड होते है. हाई बैंड स्पेक्ट्रम और millimetre wave spectrum की स्पीड सबसे ज्यादा होती है. n8, n28, n1, n78, n258 बैंड्स के 5 जी मोबाईल खरीदना उपयुक्त रहेगा. इसके साथ और भी ज्यादा बैंड मोबाइल में हो उतना ही अच्छा है. इंडिया में मिड बैंड और लो बैंड 5जी स्पेक्ट्रम का यूज होगा. मेट्रो सिटी के लोग 5 जी फ़ोन ले सकते है. इन शहरो के अलावा दूसरे लोग 5 जी फोन बिल्कुल भी नहीं खरीदे. अगर आप 5 जी फोन का इंतजार कर रहे है और आपका 4G फोन ख़राब हो गया है तो सस्ता सा 4 जी या 5 जी फोन खरीद ले. आजकल 15 हजार तक में भी 5 जी फ़ोन आ रहे है. हाँ 4 जी फोन 5 जी नेटवर्क पर काम करेंगे लेकिन वो 5 जी नेटवर्क का पूरा फायदा नहीं उठा पायेंगे. 5G, 4G LTE की तुलना में एक अच्छा सुधार होगा. 1 अक्टूबर 2022 को 5 जी भारत के 13 मेट्रो शहर में शुरू की गयी है. वर्ष 2024 के अंत तक पुरे भारत में 5 G शुरू हो जायेगी. India के 13 सिटी दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, पुणे, लखनऊ, जामनगर, हैदराबाद, गुरुग्राम, गांधीनगर, चंडीगढ़, अहमदाबाद. 5G Bands FAQs
कौन कौन से 5G बैंड होते है
कौन से 5 जी बैंड की स्पीड सबसे ज्यादा होती है?
कौन से बैंड का 5जी मोबाईल खरीदना उपयुक्त रहेगा?
इंडिया में कौन से 5जी बैंड स्पेक्ट्रम का यूज होगा
क्या अभी 5G फोन खरीदना चाहिए?
क्या अब 30 से 50 हजार रूपए का 4G फोन खरीदना ठीक रहेगा या 5G का इंतजार करना?
क्या 4 जी फोन 5 जी नेटवर्क पर काम करेंगे?
पूरे इंडिया में 5 g कब शुरू होगी?
5 जी किन शहरो में लांच हुई है?